सुंदर लिखावट आकर्षक व्यक्तित्व का एक अहम पहलू है: डॉ पीयूष पूंज
पिंजौर, फरवरी ( विपुल मंगला ) स्पिक मैके - द सोसाइटी फाॅर प्रोमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंगस्ट के माध्यम से सेंट विवेकानंद मिलेनियम स्कूल के छात्रों को अक्षरांकन शैली में कलात्मकता सीखने का सुनहरा अवसर मिला। 14 से 16 फरवरी 2024 की तीन दिवसीय कार्यशाला में मुश्ताक अहमद ,प्रधान प्रशिक्षक, कैलीग्राफी एंड ग्राफिक डिजाइन ट्रेंनिंग सेंटर , एन सी पी यू एल (मानव संसाधन मंत्रालय ) ने कक्षा छठी से आठवीं के छात्रों को अक्षरांकन की उन बारीकियां से परिचित कराया जो न केवल एक कागज के ऊपर वर्णों की बनावट को उकेरती है। बल्कि यह भी दर्शाती है कि जीवन एक सुनिश्चित शैली से ही जिया जा सकता है।
छात्र दीक्षित ने कहा कि जब उन्हे इस कार्यशाला के दौरान कलम और दवात का स्पर्श कराया गया । तो महसूस हुआ कि ये वर्ण केवल नीरे अक्षर नहीं हैं बल्कि यह हमारी पहचान भी है।
छात्रा चार्वी ने बताया कि तीन दिनो मे विशेष रूप से कलम पर अपनी पकड़ को बनाना, दवात में रखी हुई स्याही में कलम को डुबोने और कागज पर लगी हुई रेखाओं के मध्य जाकर अपनी वर्णमाला के वर्णों को बनावट देना एक अद्भुत अहसास था।
मुश्ताक अहमद ने बताया कि वह पिछले 40 वर्षों से बच्चों को और बड़ों को इस कला से पूर्ण कर रहे हैं। इस कार्यशाला के पहले दिन जब बच्चो से मिलना हुआ तो जाना कि ये सभी बच्चे जिज्ञासु प्रवृत्ति के हैं , यहाँ सिखने-सिखाने का एक अलग ही अनुभव रहेगा।
बच्चो ने पहले दिन मे ही अंग्रेजी के वर्णो को कलम की सहायता से बखूबी बनाया। बाकी के दो दिनो मे अपने अभिभावको का नाम और अंकों की बनावट भी सीखी।विद्यालय का वातावरण भी अपने आप मे बहुत अच्छा है।
इस कार्यशाला में सभी बच्चे आज एक नए आत्मविश्वास से भरे हुए थे। सभी बच्चो ने अपने भावों को प्रकट करते हुए बताया कि उन्हें सुंदर लिखावट तो बहुत अच्छी लगती थी। लेकिन इन तीन दिनों में विशेष रूप से उन्होंने समझा कि किस प्रकार से सही मापदंड के आधार पर एक वर्ण को सुंदर आकार में बनाया जा सकता है । केवल महंगे पेन , महंगे कागज या महंगी कॉपी हमारी लिखावट को सुंदर नहीं बनाती है । बल्कि हमारे द्वारा कलम को या पेन के ऊपर अपनी सही प्रकार से पकड़ बनाना और उन्हें सही लय से ऊपर से नीचे की ओर वर्ण की बनावट में ढालना आदि छोटे-छोटे बिंदुओं से ही सुंदर लेखन तैयार होता है। हम अब अपने बाकी मित्रों और साथियों को भी इन बारीकियां से अवगत कराएंगे और आने वाले समय में हम उनकी लिखावट को और भी सुंदर बनाने का प्रयास करेंगे।
प्राचार्य डाॅ पियूष पूंज ने मुश्ताक अहमद और स्पिक मैके का आभार जताया । उन्होंने बताया कि सुंदर लिखावट आकर्षक व्यक्तित्व का एक अहम पहलू है ।अगर बच्चे बचपन से ही वर्णों की बनावट को सही रूप से समझ जाते हैं । तो उनकी लिखावट न केवल उनके व्यक्तित्व को निखारती है बल्कि उनकी सोच में भी एक नए आयाम को जोड़ती है ।आज बच्चों को सर्वांगीण रूप से विकसित करने के लिए पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ अन्य अंतर्निहित कलाओं व गुणों को भी निखारना आवश्यक है। विद्यालय इन कार्यशालाओं द्वारा बच्चों को शिक्षा के मूल पहलुओं से अवगत रखना चाहता है।
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