शास्त्रीय संगीत स्वयं एक स्वर ,भाव और ताल का अनूठा संगम है : डॉ पीयूष पुंज
: विवेकानंद छात्र उत्थान मंच - हैरिटेज क्लब के अंतर्गत कर्नाटक शास्त्रीय संगीत का हुआ आयोजन
पिंजौर , ( विपुल मंगला ) : सेंट विवेकानंद मिलेनियम स्कूल के प्रांगण में बच्चों को एक बार पुन: भारतीय सांस्कृतिक विरासत के अमूर्त पहलुओ से जोड़ते हुए स्पिक मेैके के तत्वाधान व विवेकानंद छात्र उत्थान मंच - हैरिटेज क्लब के अंतर्गत कर्नाटक शास्त्रीय संगीत का आयोजन हुआ। स्पिक मैके - द सोसाइटी फाॅर प्रोमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंगस्ट यूथ का उद्देश्य युवाओ के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देना है।
सर्वप्रथम परिसर में कर्नाटक शास्त्रीय गायिका विदुषी सुधा रघुरामन, विद्वान मेलाकावेरी क थियागराजा (वायलिन वादक), विद्वान मदीपक्कम पी सुरेश (मृदंग वादक) और डॉ शशि बैनर्जी ,उपाध्यक्ष, हरियाणा स्पिक मैके का अभिनंदन पारंपरिक रूप से सरस्वती वंदना व स्वामी विवेकानंद जी को माल्यार्पण से हुआ।
प्राचार्य डाॅ पियूष पुंज ने सभी विशिष्ट अतिथियो का हार्दिक स्वागत और उनकी अनुभूति व आभास को अपने भीतर ग्रहण करने का आग्रह किया।
मंच पर कर्नाटक शास्त्रीय गायिका विदुषी सुधा रघुरामन के मधुर कंठ की गूंजती तानें, राग की तीव्र तरंगें,वायलन और मृदंगम् की निपुण संगम ने पूरे प्रांगण को स्वर लहरियों की सिरहन से कंपित कर दिया।
विदुषी सुधा रघुरामन ने बच्चों के समक्ष राग नाटा में महागणपतिं मनसा स्मर्णिम से श्री गणेश और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की वर दे वीणा वादिनी से मां सरस्वती की आराधना ने पूरे परिसर को स्वरों की पवित्रता से अभिभूत किया। बच्चों को एक ताल की 12 मात्राओं की उपक्रम से जोड़ना, उन्हें करतल की ध्वनि की लय को समझाना अपने आप में ही एक विहंगम दृश्य था । उस समय सभी बच्चे, उपस्थित जन उन हस्त मुद्राओं की भंगिमाओ, कंठ की सुमधुर तान,लय और शास्त्रीय संगीत की लहरियों से जुड़ गए थे। राग मांड में मोर मुकुट पीतांबर सोहे--- गले वैजयंती माला से माखन चोर नंदलाल श्री कृष्ण की लीलामयी बखान, श्री राम की स्तुति ने वातावरण को संगीत की धनों की मिठास से तो भरा ही साथ ही में मन को शीतलता का स्पर्श भी दिया।
उन्होंने बच्चों को मेलकार्ता राग, समवेत गायन की बारीकियां से भी परिचित कराया। कार्यक्रम की समाप्ति वंदे मातरम के उदघोष से हुई।
स्कूल के छात्रो विनायक ,मित्तेश , पलक आहुजा, सोनाक्षी ,सरगुण विभिन्न प्रश्न पूछे । विदुषी सुधा रघुरामन ने बच्चो की जिज्ञासा को शांत करते हुए उन्हे कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की बारिकियो , राग-ताल के समन्वय, सरगम का आरोह- अवरोह की विशेषताओ से अवगत कराया। उनके लिए संगीत उनकी श्वास - प्राणवायु है। उन्होने कहा कि हमे अपने लक्ष्य को पाने के लिए स्वयं को उसके भीतर डुबा देना चाहिए। यह एक साधना है जो आत्मा के भीतरी रस और भावों से सराबोर रहे। निरंतर अभ्यास, एकाग्रता और मननशीलता ही हमे सुरो की माला से गुंथे रखती है। शिष्य के जीवन मे गुरु का स्थान हमेशा सर्वोच्च रहा है। स्वयं को सदैव गुरु के चरणो मे नतमस्तक रखें ।
प्राचार्य डाॅ पियूष पूंज ने विदुषी सुधा रघुरामन, डॉ शशि बैनर्जी और स्पिक मैके का आभार जताया । उन्होंने कहा कि आप अपने घराने की परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए नव पीढ़ी के लिए एक उत्तम उदाहरण है । हमारी सनातन संस्कृति कलाओं का खजाना है। शास्त्रीय संगीत स्वयं एक स्वर ,भाव और ताल का अनूठा संगम है ।आज बच्चों को सर्वांगीण रूप से विकसित करने के लिए पुस्तकिय ज्ञान के साथ-साथ अन्य अंतर्निहित कलाओं व गुणों को भी निखारना होगा। विद्यालय इन आयोजनों द्वारा बच्चों को इसी पथ की ओर अग्रसर कर रहा है। इस प्रस्तुति मे पिंजौर के विभिन्न स्कूलो विश्व शिक्षा निकेतन, दर्शन अकेडमी के छात्रो ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई व अन्य स्कूल ऑनलाइन माध्यम से भी जुड़े रहे।
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