11वें मातृ पितृ पूजन दिवस पर अभिभावक एवं छात्र हुए भाव विभोर
पिंजौर , फरवरी ( विपुल मंगला ) : अभिभावकों के गले लगते हुए छात्र, आंखों से बहते स्नेह युक्त अश्रु, पूजा से सजी थालियां के साथ भारतीय सनातन परंपरा को जीवित रखते हुए सेंट विवेकानंद मिलेनियम स्कूल, एचएमटी, टाउनशिप पिंजौर ने श्री योग वेदांत समिति, पिंजौर के सहयोग से 11वें मातृ पितृ पूजन का आयोजन किया । पूजा में लगभग 180 माता-पिता और बच्चों ने भाग लिया । इस आयोजन का उद्देश्य वर्तमान व्यस्त जीवन में माता-पिता और उनके बच्चों के बीच प्रेम, सद्भाव और आत्मीयता जैसे गुणों को विकसित करना है ताकि उनका रिश्ता और करीबी हो और उनका भविष्य खुशियों से भरा हो ।
बसंत पंचमी के उपलक्ष में कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा से हुआ । विद्यालय के प्रधानाचार्य, उप प्राचार्य, अध्यापकों सहित छात्रों ने मां सरस्वती का वैदिक विधि से पूजन किया । प्राचार्य द्वारा अध्यापकों को प्रसाद स्वरूप लेखनी वितरित की गई ।
मातृ पितृ पूजन दिवस पर स्कूल निर्देशिका कमल राय मुख्य अतिथि के रूप में और डॉ.कश्मीरा सिंह, हिमाचल होमियो क्लीनिक, कालका विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे । विवेकानंद स्कूल समय-समय पर ऐसे पुण्य और मांगलिक कार्यों का संचालन करता रहता है, जिससे बच्चों को मूल्यों के साथ-साथ माता-पिता के महत्व का भी ज्ञान हो । इस कार्यक्रम में सबसे पहले छात्र-छात्राओं ने अपने माता-पिता को तिलक लगाकर माला पहनाई । उसके बाद बच्चों ने अभिभावकों की परिक्रमा की और सभी का अभिवादन किया । इसके बाद बच्चों ने माता-पिता की आरती उतारी । इस समय वातावरण अत्यंत भावपूर्ण था, चारों तरफ प्यार के आंसू बह रहे थे । माता-पिता ने अपने बच्चों को गले लगाया और उन्हें ढेर सारा आशीर्वाद दिया । उपस्थित सभी लोगों ने इसका भरपूर आनंद लिया ।
कक्षा तीसरी के छात्र विवान दुआ के अभिभावकों ने स्कूल को दिल खोलकर धन्यवाद दिया और कहा कि हम लंबे समय से कोशिश कर रहे हैं कि अपने बच्चों के साथ इतनी आत्मीयता के साथ समय बिताएं । स्कूल के सहयोग से जब छात्र-छात्राओं ने मां पितृ पूजन में हमारी आरती की तो हम इस पर अभिभूत हो गए ।
स्कूल की निर्देशिका कमल राय ने एक लोरी गाई, जिसने माहौल को और अधिक भावनात्मक और भावपूर्ण बना दिया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ.पीयूष पुंज ने सभी विद्यार्थियों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आज के बच्चे कल का भविष्य हैं और ऐसे संस्कारों को आत्मसात करके बच्चे परिवार के साथ-साथ समाज को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा सकेंगे । कार्यक्रम का समापन कल्याण की कामना युक्त शांति पाठ से हुआ ।
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